रांची: मणिपुर हिंसा और परिसीमन को लेकर झारखंड की राजनीति गरमा गई है। बीजेपी और झामुमो (JMM) के बीच तीखी बयानबाजी जारी है। बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो की हालिया प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए पार्टी पर लोगों को गुमराह करने और आरएसएस (RSS) के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।
शाहदेव ने कहा कि आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है, जो हमेशा देश और सनातन धर्म के लिए कार्य करता आया है। उन्होंने झामुमो पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और जिसने झारखंड की छवि को वैश्विक स्तर पर धूमिल किया है, उसे आरएसएस पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है। उन्होंने झामुमो पर हताशा और हड़बड़ाहट में झूठ फैलाने का आरोप लगाया।
शाहदेव ने स्पष्ट किया कि आरएसएस ने कभी भी परिसीमन का विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि संगठन मानता है कि परिसीमन इस तरह किया जाना चाहिए, जिससे देश की एकता और अखंडता मजबूत हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रक्रिया में क्षेत्रीय संतुलन और सांस्कृतिक पहचान का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयानों का हवाला देते हुए उन्होंने आश्वासन दिया कि परिसीमन किसी भी राज्य के साथ अन्याय नहीं करेगा और आरक्षण के अनुपात को कम नहीं किया जाएगा। शाहदेव ने यह भी कहा कि अब तक कोई आधिकारिक प्रक्रिया या मसौदा तैयार नहीं किया गया है, जिससे झामुमो के दावे भ्रामक और निराधार साबित होते हैं।
शाहदेव ने झामुमो पर मणिपुर को लेकर भी गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस दोनों इस बात को स्वीकार करते हैं कि मणिपुर पिछले 20 महीनों से गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से सुधार की उम्मीद बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर में हालात तेजी से बदल रहे हैं और सरकार उन सड़कों को फिर से खोल रही है, जो लंबे समय से बंद थीं।
इससे पहले, झामुमो ने बीजेपी से मणिपुर हिंसा और परिसीमन के मुद्दों पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की थी। सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरएसएस की हालिया अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक का जिक्र करते हुए कहा था कि बीजेपी को इन मुद्दों पर अपना रुख साफ करना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि आरएसएस ने अपनी 2025 में प्रस्तावित 100वीं वर्षगांठ के भव्य आयोजनों को टालकर संगठन विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि बैठक में मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर चर्चा की गई और यह स्वीकार किया गया कि हालात सामान्य होने में वर्षों लग सकते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि सरकार और आरएसएस इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। चर्चा का मुख्य केंद्र रामकृष्ण मिशन और इस्कॉन जैसी संस्थाओं का कार्य रहा।
इन मुद्दों के राजनीतिक महत्व बढ़ने के साथ ही झारखंड की राजनीति में तनाव भी बढ़ता जा रहा है। बीजेपी और झामुमो दोनों अपने-अपने दावे पेश कर जनता को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे हैं।