Connect with us

राँची सभा

गौतम अडानी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुलाकात ने दी अटकलों को हवा

गौतम अडानी का रांची दौरा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात राज्य में राजनीतिक अटकलों का कारण बन गई है। यह बैठक गोड्डा पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण में संभावित अनियमितताओं की जांच से जुड़ी है। इस मुद्दे का असर झारखंड के विकास और राजनीति पर पड़ सकता है।

Published

on

रांची: शुक्रवार की रात, गौतम अडानी, अडानी ग्रुप के अध्यक्ष और देश के प्रमुख उद्योगपति, रांची पहुंचे, जिससे व्यापक चर्चा का दौर शुरू हो गया। वे अपनी निजी विमान से शहर पहुंचे और सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने के लिए गए। यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर हुई, जिसने राज्य की राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, और राजधानी में अटकलें तेज हो गईं।

हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बैठक को एक सामान्य शिष्टाचार मुलाकात बताया, जिसका मुख्य उद्देश्य निवेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था, विशेषज्ञ इसे कई दृष्टिकोणों से देख रहे हैं। इस बैठक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह गौतम अडानी का रांची का पहला दौरा और राज्य के गठन के बाद मुख्यमंत्री से उनकी पहली मुलाकात थी। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक काफी देर तक चली।

अडानी ग्रुप ने झारखंड में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं, जिनमें से गोड्डा पावर प्लांट एक प्रमुख परियोजना है। यह पावर प्लांट गोड्डा जिले में स्थित है और बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करता है। यह महत्वपूर्ण है कि इस पावर प्लांट के निर्माण के दौरान भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर कई विवाद उठे, जिसमें किसानों द्वारा मुआवजे के मुद्दे पर विरोध भी किया गया।

गोड्डा स्थित अडानी पावर प्लांट का मुद्दा पिछले बजट सत्र में राज्य विधानसभा में उठाया गया था। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने इस मुद्दे को सामने लाते हुए आरोप लगाया था कि पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण संथाल परगना tenancy (SPT) अधिनियम का उल्लंघन करता है। इसके जवाब में, विभागीय मंत्री दीपक बिरुआ ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक जांच समिति के गठन की घोषणा की। इस समिति का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) की समीक्षा करना है।

गौतम अडानी की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात का विशेष महत्व है, खासकर क्योंकि यदि राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में किसी भी अनियमितता का खुलासा करती है, तो यह न केवल एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है बल्कि अडानी ग्रुप की छवि पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।

गोड्डा परियोजना के अलावा, अडानी ग्रुप को हज़ारीबाग जिले के गोन्डलपुरा, Barkagaon में एक कोल ब्लॉक भी आवंटित किया गया है। हालांकि, कंपनी को वहां भी भूमि अधिग्रहण में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस परियोजना में देरी के कारण कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। अनुमान है कि यह कोल ब्लॉक जब चालू होगा, तो राज्य सरकार को ₹600 करोड़ की वार्षिक राजस्व प्राप्ति हो सकती है।

गौतम अडानी का रांची दौरा और मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात राज्य में राजनीति और उद्योग के रिश्ते में एक नई दिशा जोड़ने वाली साबित हुई है। बैठक के आसपास की अटकलों और आगामी घटनाओं के संभावित परिणामों ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यह मुद्दा अडानी ग्रुप और राज्य सरकार दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है। अगर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में किसी भी अनियमितता का खुलासा होता है, तो यह एक राजनीतिक विवाद का रूप ले सकता है, जो राज्य की राजनीति और विकास की दिशा पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।

Advertisement

Trending