हजारीबाग: झारखंड, विशेष रूप से हजारीबाग में, सांप्रदायिक झड़पों की बढ़ती घटनाएं कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ा रही हैं। धार्मिक जुलूसों, लाउड म्यूजिक और सोशल मीडिया पर बढ़ते तनाव ने कई बार अशांति को जन्म दिया है। रामनवमी और सरहुल जैसे त्योहारों के मद्देनजर प्रशासन सतर्क है, जबकि राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
2025 में झारखंड में धार्मिक आयोजनों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है। हालिया घटना 25 मार्च को हजारीबाग में हुई, जहां झंडा चौक, जामा मस्जिद रोड पर मंगल जुलूस के दौरान दो गुटों में झड़प हो गई। पत्थरबाजी शुरू होते ही पुलिस ने लाठीचार्ज किया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चार राउंड हवाई फायरिंग की। इस घटना के दौरान कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए, जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया।
यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है। पिछले कुछ महीनों में कई धार्मिक त्योहारों के दौरान हिंसा भड़की, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था पर सवाल उठे हैं।
- 2 फरवरी को खूँटी के बड़ा बारू गाँव में सरस्वती पूजा स्थल को लेकर विवाद हुआ, जिसके कारण पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
- 4 फरवरी को रामगढ़ के गोला में सरस्वती प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंसा हुई, जिसमें पत्थरबाजी और कई लोग घायल हुए।
- 7 फरवरी को जमशेदपुर के काशीडीह में तेज आवाज में बज रहे गानों को लेकर विवाद बढ़ा और झड़प में तीन लोग घायल हो गए।
- 26 फरवरी को हजारीबाग के डुमरांव गाँव में महाशिवरात्रि के दौरान धार्मिक झंडे और लाउडस्पीकर को लेकर विवाद बढ़ा और देखते ही देखते पत्थरबाजी, आगजनी और गाड़ियों को जलाने की घटनाएं हुईं।
- 14 मार्च को गिरिडीह के घोड़थम्बा चौक पर होली के दौरान जुलूस के मस्जिद के पास से गुजरने पर हिंसा भड़क उठी। दुकानों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
- 26 मार्च को हजारीबाग में रामनवमी के दौरान मंगल जुलूस में संगीत को लेकर विवाद हुआ, जिससे पत्थरबाजी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग करनी पड़ी।
राजनीतिक असर और बढ़ता तनाव
इन घटनाओं का राजनीतिक असर साफ दिख रहा है। भाजपा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) सरकार पर कानून-व्यवस्था की नाकामी का आरोप लगाया है। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा गरमाया, जिसमें भाजपा विधायकों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
भाजपा विधायक उज्जवल कुमार दास ने सवाल उठाया कि क्या हिंदू त्योहारों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है? वहीं, विधायक मनोज यादव ने हजारीबाग हिंसा के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। हजारीबाग विधायक प्रदीप प्रसाद ने आरोप लगाया कि हिंसा से पहले इलाके की स्ट्रीट लाइट बंद कर दी गई थी, जिससे यह एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने कट्टरपंथी तत्वों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की।
दूसरी ओर, सत्ताधारी झामुमो (JMM) ने भाजपा पर चुनावी लाभ के लिए धार्मिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया। झामुमो विधायक समीर मोहंती ने कहा कि भाजपा का इतिहास धार्मिक मुद्दों का राजनीतिकरण करने का रहा है। उन्होंने भाजपा विधायकों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि उन्हें कांके के मानसिक अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अशांति का पैटर्न और आगे की चुनौतियां
इन घटनाओं में एक स्पष्ट पैटर्न उभर रहा है—अधिकांश झड़पें तब होती हैं जब धार्मिक जुलूस मस्जिदों या मदरसों के पास से गुजरते हैं, जिससे टकराव की स्थिति पैदा होती है। तेज आवाज में बजने वाले गाने भी हिंसा का मुख्य कारण बन रहे हैं, क्योंकि कुछ समुदायों को इससे आपत्ति होती है। छोटे-छोटे विवाद अफवाहों और सोशल मीडिया पर भड़काए गए गुस्से के कारण बड़े सांप्रदायिक संघर्ष में बदल जाते हैं। गंभीर मामलों में, जैसे होली और महाशिवरात्रि के दौरान, दंगे आगजनी और तोड़फोड़ तक पहुंच गए, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ और धार्मिक तनाव और गहरा गया।
रामनवमी के जुलूस अभी भी जारी हैं और आदिवासी त्योहार सरहुल भी नजदीक है, जिससे प्रशासन की चुनौती बढ़ गई है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है, और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं ताकि आगे हिंसा न भड़के।
आगे का रास्ता
लगातार बढ़ती सांप्रदायिक झड़पों ने झारखंड में शांति और सौहार्द को खतरे में डाल दिया है। बार-बार धार्मिक आयोजनों के दौरान होने वाली हिंसा से पुलिस की कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष जहां सरकार को स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष आरोप लगा रहा है कि विपक्ष चुनावी फायदे के लिए धार्मिक तनाव को बढ़ावा दे रहा है।
अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो झारखंड को और अधिक अस्थिरता और सांप्रदायिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। शांति बहाल करने के लिए कानून-व्यवस्था को मजबूत करना, समुदायों के बीच संवाद बढ़ाना और धार्मिक आयोजनों को हिंसामुक्त बनाना जरूरी है। आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि झारखंड शांति की ओर बढ़ेगा या सांप्रदायिक और राजनीतिक टकराव की ओर।