रांची: झारखंड सरकार जल संरक्षण को लेकर सक्रिय हो गई है। मुख्य सचिव अलका तिवारी ने जल संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए अभिनव तरीके अपनाने और समन्वित प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्याप्त वर्षा होती है, लेकिन जल संचयन की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। भविष्य में जल संकट की संभावनाओं को देखते हुए ठोस उपायों की आवश्यकता है।
इजरायल और साइप्रस की तकनीक पर जोर
मुख्य सचिव ने नेशनल वाटर मिशन के तहत राज्य आधारित एक्शन प्लान पर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में कहा कि जल संकट से जूझ रहे देशों इजरायल और साइप्रस ने जल संरक्षण के लिए जिन तकनीकों और नवाचारों को अपनाया है, उन्हें झारखंड में भी लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीकों को अपनाने की जरूरत है।
जल संरक्षण के अवसर और चुनौतियां
बैठक में जल संसाधन विभाग और झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन के आंकड़ों पर चर्चा हुई, जिसमें जल संरक्षण से जुड़ी संभावनाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया।
प्रमुख अवसर:
- झारखंड में पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन उपलब्ध हैं।
- जल संचयन और संरक्षण के लिए संरचनात्मक विकास की संभावनाएं हैं।
- राज्य सरकार जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कई योजनाएं चला रही है।
प्रमुख चुनौतियां:
- पुरानी जल संरचनाओं का नवीकरण आवश्यक है।
- जल उपभोक्ताओं और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।
- झारखंड बाढ़ और सूखे की दोहरी मार झेलता है।
- भूगर्भ जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
- कई लोगों तक शुद्ध पेयजल की पहुंच सुनिश्चित नहीं हो सकी है।
जल उपभोग और भूगर्भ जल संरक्षण पर जोर
बैठक में बताया गया कि टाटा और बोकारो स्टील जैसी बड़ी कंपनियों को राज्य सरकार द्वारा जल आपूर्ति की जाती है, जिससे सरकार को कर के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये की आय होती है। लेकिन उन उद्योगों का कोई स्पष्ट डेटा नहीं है, जो भूगर्भ जल का उपयोग करते हैं। इसे देखते हुए भूगर्भ जल संरक्षण के लिए एक विशेष एक्शन प्लान तैयार करने की योजना बनाई जा रही है।
राज्य आधारित एक्शन प्लान तैयार करने की पहल
मुख्य सचिव ने कहा कि जल संरक्षण के लिए स्टेट स्पेसिफिक एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके तहत झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग ने झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू किया है। यूनिवर्सिटी विभिन्न सरकारी विभागों के साथ समन्वय कर राज्य के जल संसाधनों का विस्तृत डेटा तैयार कर रही है।
बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण बैठक में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार, जल संसाधन सचिव प्रशांत कुमार, कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख, नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि डॉ. अजय समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सरकार का मानना है कि यदि जल संरक्षण को लेकर अभी से ठोस प्रयास किए गए, तो झारखंड में भविष्य में जल संकट जैसी स्थिति नहीं बनेगी। इसके लिए राज्य सरकार समन्वय के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।