नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक मेहुल चौकसी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबरों के मुताबिक, चौकसी को बेल्जियम में हिरासत में लिया गया है और जल्द ही उसे भारत लाया जा सकता है। यह गिरफ्तारी उस वक्त हुई है जब हाल ही में मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। माना जा रहा है कि चौकसी की गिरफ्तारी के पीछे भारत सरकार की कूटनीतिक सक्रियता और बेल्जियम के साथ हुई प्रत्यर्पण संधि की अहम भूमिका रही।
प्रत्यर्पण संधि और चौकसी की गिरफ़्तारी
साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी थी। यह संधि 1901 में ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच हुई पुरानी संधि की जगह ली, जो स्वतंत्रता से पहले भारत पर भी लागू थी।
चौकसी, जो पहले एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता हासिल कर चुका था, भारत की पहुंच से बाहर था क्योंकि इन देशों के साथ भारत की कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं थी। लेकिन जैसे ही वह बेल्जियम आया, भारतीय एजेंसियां सतर्क हो गईं और कार्रवाई तेज हो गई।
प्रत्यर्पण कानून: क्या होता है और कैसे काम करता है?
प्रत्यर्पण एक अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया है जिसमें एक देश दूसरे देश को अपराधी को सौंपता है ताकि उस पर मुकदमा चलाया जा सके या सजा दी जा सके। भारत में यह प्रक्रिया 1962 के प्रत्यर्पण अधिनियम के तहत संचालित होती है।
इस प्रक्रिया के मुख्य चरणों में शामिल हैं:
- आधिकारिक अनुरोध
- प्रत्यर्पण संधि या कानूनी समझौते के आधार पर विचार
- न्यायिक प्रक्रिया
- और फिर आरोपी को ट्रांसफर करना
किन-किन देशों के साथ भारत के प्रत्यर्पण करार?
भारत ने अब तक 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि और 12 देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था की है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, यूएई, फ्रांस, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं। भारत से प्रत्यर्पण अनुरोध विदेश मंत्रालय की ओर से भेजा जाता है और यह प्रक्रिया पूरी तरह से राजनयिक चैनलों के माध्यम से होती है।
अगला नंबर किसका?
अब सवाल उठता है कि मेहुल चौकसी के बाद अगला नंबर किस भगोड़े का हो सकता है?
- विजय माल्या: शराब कारोबारी विजय माल्या को लंदन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। उनके खिलाफ भारत में बैंकों से लिए गए कर्ज़ को लेकर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज हैं।
- नीरव मोदी: मेहुल चौकसी का भांजा नीरव मोदी भी लंदन में है और उसके खिलाफ प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी है। वह फिलहाल कानूनी अपीलों में व्यस्त है।
- ललित मोदी: आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी ने अब वानुआतु की नागरिकता ले ली है और भारतीय नागरिकता छोड़ने का आवेदन भी दे दिया है। यह स्थिति उसे प्रत्यर्पण के दायरे से दूर कर देती है। अब उसे भारत लाना और भी कठिन हो गया है, जब तक वह वानुआतु से बाहर नहीं निकलता।
क्या ये बदलाव दर्शाते हैं भगोड़ों पर सरकार की सख्ती?
चौकसी की गिरफ्तारी और राणा का प्रत्यर्पण यह इशारा करते हैं कि केंद्र सरकार भगोड़ों पर शिकंजा कसने की रणनीति को तेज कर रही है। भारत की ओर से प्रत्यर्पण संधियों पर बल दिए जाने और कूटनीतिक दबाव की रणनीति से यह संभव हो पाया है।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगले नंबर पर कौन होगा—माल्या, नीरव या ललित?