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राँची सभा

रांची कोर्ट को धमकी भरा पत्र: माओवादी नेताओं को छुड़ाने की साजिश का खुलासा

रांची सिविल कोर्ट को भेजे गए धमकी भरे पत्र ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। पत्र में माओवादी नेताओं प्रशांत बोस और शीला मरांडी को जेल से छुड़ाने की योजना का ज़िक्र है। पुलिस ने चार लोगों पर एफआईआर दर्ज की है और जांच तेज़ कर दी गई है।

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रांची: झारखंड की न्यायिक और सुरक्षा व्यवस्था में उस समय हड़कंप मच गया जब रांची सिविल कोर्ट को एक धमकी भरा पत्र मिला। स्पीड पोस्ट से भेजे गए इस पत्र में एनआईए कोर्ट के एक जज को जान से मारने की धमकी दी गई है और साफ तौर पर लिखा है कि एक महीने के भीतर हमले की तैयारी है। साथ ही यह भी कहा गया कि माओवादी नेता प्रशांत बोस और शीला मरांडी को जेल से छुड़ाने के लिए एक संगठित ऑपरेशन शुरू किया जा चुका है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पत्र की भाषा बेहद स्पष्ट और खतरनाक है। इसमें दावा किया गया है कि शूटर्स को पहले ही पैसे दिए जा चुके हैं और जेल तोड़ने की योजना को अमल में लाया जा रहा है। दो अलग-अलग नामों से भेजे गए लिफाफों में एक मोबाइल नंबर भी दिया गया है, जिसकी पहचान झारखंड कंबाइंड एंट्रेंस कम्पेटिटिव एग्जामिनेशन बोर्ड के अरुण कुमार के नाम पर हुई है।

इस खुलासे के बाद कोतवाली थाना में चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है—अरुण कुमार, एक निजी फर्म अनामिका एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, सकेत तिर्की और एक अज्ञात व्यक्ति। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन नामों का वाकई कोई संबंध है या साजिश के तहत इन्हें फंसाने की कोशिश की गई है।

एनआईए कोर्ट कक्ष वाले रांची सिविल कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। जज की सुरक्षा बढ़ाई गई है और कोर्ट में आने-जाने वालों की सघन जांच की जा रही है। कोतवाली थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अधीकांत महतो ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी दी जा चुकी है और खुफिया एजेंसियों से इनपुट लिया जा रहा है।

इस पूरे मामले में माओवादी नेता प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी का नाम सामने आने से खतरे की गंभीरता और बढ़ गई है। ‘किशन दा’ के नाम से कुख्यात प्रशांत बोस माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व में शामिल हैं और 2021 में गिरफ्तार किए गए थे। शीला मरांडी भी लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की नजर में रही हैं। दोनों फिलहाल कड़ी सुरक्षा में जेल में हैं। उन्हें छुड़ाने की कोई भी कोशिश राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती मानी जा रही है।

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